Breaking

Tuesday, September 28, 2021

अम्बेडकरनगर। क्या है अम्बेडकरनगर का इतिहास

आज अम्बेडकरनगर जिले को 26 शाल पूरा हुआ


अम्बेडकरनगर। फैजाबाद जिले के नाम से जाना जाने वाला आज का अम्बेडकरनगर जिले का गठन बहुजन समाज पार्टी के सुप्रीमों मायावती ने 29 सितम्बर 1995 में किया था। फैजाबाद जिले से अलग करते हुए अंबेडकर नगर को नया जिला बनाया गया था। जिसमें अकबरपुर, टांडा, जलालपुर, आलापुर और भीटी तहसील शामिल हैं। फैजाबाद जिले से अलग होने के बाद इस जिले की स्थिति अति पिछड़े जिलों में होने लगी थी। लेकिन वर्तमान और पूर्व की सरकारों में अम्बेडकर नगर में मूलभूत सुविधाओं, बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ और शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किये गए हैं। पौराणिक, ऐतिहासिक और औद्योगिक दृष्टिकोण से इस जिले की प्रमुख विशेषताएं निम्न हैं।

धार्मिक स्थल श्रवण क्षेत्र


 धार्मिक दृष्टिकोण से अम्बेडकर नगर जिले में माता और पिता की सेवा करने वाले भक्त पुत्र श्रवण कुमार से जुड़ा श्रवण क्षेत्र, जो तमसा और बिसुई नदी के संगम पर स्थित है। जहां अयोध्या नरेश महाराज दशरथ ने इसी संगम तट पर श्रवण कुमार को उस समय मार दिया था, जब श्रवण अपने अंधे माता पिता के लिए नदी से जल लेने गए थे। उस समय राजा दशरथ शिकार करते हुए पहुंचे तो उन्हें लगा कि कोई जानवर पानी पी रहा है। इस पर उन्होंने शब्द वेदी बाड़ लगने से मृत्यु हो गई। उस समय से इस स्थल का चयन पर्यटन के लिए किया गया है और हर वर्ष यहां मेले का आयोजन भी होता है।

धार्मिक तपोभूमि बाबा गोविंद साहब


 बाबा गोविन्द साहब की तपोस्थली जो अम्बेडकर नगर जिले के पूर्वी छोर आजमगढ़ जिले की सीमा पर आलापुर तहसील क्षेत्र में स्थित है। इस स्थल पर मान्यता है कि बाबा गोविन्द साहब (जो एक ऐसे संत थे, जो गरीबों की सेवा के लिए जाने जाते थे) का समाधि स्थल है और हर साल दिसंबर और जनवरी के महीने में यहां एक विशाल मेला लगता है और लोग यहां अपनी मन्नतों के लिए खिचड़ी चढ़ाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय दरगाह किछौछा


जिले में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध सूफी संत मखदूम अशरफ सिमनानी की दरगाह किछौछा में स्थित है। इस सूफी संत के बारे में कहा जाता है कि ईरान के सिमनान प्रान्त के ये बादशाह थे। लेकिन अचानक इनका मोह शासन से भंग हो गया और ये अपना शासन छोड़कर लोगों की भलाई के लिये निकल पड़े। किछौछा में आकर इस सूफी संत ने लोगों की सेवा की और इसी वजह से यहां स्थित उनकी मजार पर बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों के लोग लाखों की संख्या में आते हैं।


अम्बेडकर नगर जिला उत्तर प्रदेश में प्रमुख रूप से सस्ते कपड़े के उत्पादन के रूप में विख्यात है। इस जिले में लगभग 90 हजार पावर लूम संचालित हो रहे हैं, जिन पर तैयार होने वाला कपड़ा पूरे देश के विभिन्न हिस्सों के साथ कुछ अन्य देशों में भी जाता है।

थर्मल पावर प्लांट टाण्डा अम्बेडकरनगर


 अम्बेडकर नगर जिले में स्थापित बिजली के पावर प्लांट के कारण इस जिले की पहचान पूरे देश में बनी है। जिले की टांडा तहसील क्षेत्र में घाघरा नदी के तट पर स्थापित इस पावर प्लांट का निर्माण उत्तर प्रदेश सरकार ने किया था, जिसे बाद में देश की नव रत्न कंपनियों में से एक एनटीपीसी ने ले लिया और अब इसकी क्षमता के विस्तार का काम कर रही है।


इतिहास

नदियों के किनारे नगर बसने का इतिहास बहुत पुराना हैं। आदि कवि ने “वि तमसा तमसा सरयू तटा ” कहते हुए मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के विजयोत्सव का सुन्दर चित्र खींचा हैं। जाहिर सी बात हैं साधनाशील ऋषियों, मुनियों से श्लाधा पायी टेढ़ी-मेढ़ी होती घूमती आयी सरयू, घाघरा और तमसा धरती के सीचती हुई जन जीवन को सुधा दान करती आयी हैं और आज भी कर रही हैं। पवित्र सलिला सरयू और तमसा की कल-कल करती जल लहरों से अभिसिंचित भूखण्ड पर आबाद अम्बेडकरनगर जनपद कई दृष्टिकोण से अपनी खास पहचान रखता है। जनपद के अस्तिव में आने के पूर्व इस भूभाग ने तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं।


29 सितम्बर 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री  द्वारा शिवबाबा के खचाखच भरे भीड़ में सृजन की घोषणा के साथ अयोध्या(फैजाबाद) से विभक्त होकर अस्तित्व में आये अम्बेडकरनगर जनपद का मुख्यालय अकबरपुर है। यह नगर समुद्र तल से 133 मीटर (436 फिट) की ऊँचाई पर तथा 26.431 अंश उत्तरी, अक्षांश और 82.540 अंश पूर्वी देशांतर पर स्थित हैं । पांच तहसीलों और दस ब्लाकों में विभक्त अम्बेडकरनगर जनपद का कुल क्षेत्रफल 2350 वर्ग किमी0 है। जहां 2011 की जनगणना के अनुसार 23,97,888 (तेइस लाख सत्तानबे हजार आठ सौ अट्ठासी ) लोग निवास करते हैं। जिनकी संख्या बढ़कर अब 25 लाख के आसपास हो चुकी है। जिले में कुल 1750 राजस्व गांव है। जिन्हें मिलाकर कुल 930 ग्राम पंचायतें तीन नगर पालिका व दो नगर पंचायतें गठित हैं।


जनपद सृजन से पूर्व यह क्षेत्र अयोध्या(फैजाबाद)जनपद का हिस्सा हुआ करता था। तत्समय यह क्षेत्र अकबरपुर और टाण्डा दो तहसीलों में विभक्त था। इसी बीच लोगों की मांग को देखते हुए 22 जून 1989 को तत्कालीन मुख्यमंत्री  व तत्कालीन राजस्व मंत्री  ने अकबरपुर के कुछ हिस्से को विभक्त कर जलालपुर तहसील का सृजन किया। आगे चलकर जिला सृजन के बाद जनमांग को देखते हुए 7 दिसम्बर 1995 को तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल बोरा ने टाण्डा तहसील गठन का फैसला लिया। जिसे तत्कालीन मण्डलायुक्त ने 1 जनवरी 1996 को मूर्त रूप दिया। उसी के साथ आलाुर तहसील अस्तित्व में आ गयी। इसी बीच 31 अक्टूबर 2007 को अकबरपुर तहसील के कुछ हिस्सों को लेकर भीटी तहसील का सृजन हुआ। इस प्रकार जिले में कुल पांच तहसील हो गयी। यह नही 930 ग्राम पंचायतों और 1750 राजस्व गांवो में फैले अम्बेडकरनगर जनपद को पहले 9 विकास खण्डों में विभक्त किया गया  हैं। जिसमें अकबरपुर, टाण्डा, बसखारी, रामनगर, जहांगीरगंज, भियांव, जलालपुर, कटेहरी और भीटी  शामिल हैं।ऐतिहासिक दृष्टि कोण से यदि नजर डाले तो मिलता है कि जिस अकबरपुर शहर को अम्बेडकरनगर जिले का मुख्यालय बनाया गया हैं वह नवाबी काल में बिल्कुल वीरान क्षेत्र था। सोलहवी शताब्दी के छठवें दशक तक यह क्षेत्र घनघोर जंगल का हिस्सा था। सन् 1566 ई0 में जब सम्राट अकबर का यहां आगमन हुआ तब यह नगर अस्तित्व में आया। वर्णन मिलता है कि 1566 में सम्राट अकबर यहां जिस स्थान पर आये और रूके उसे आज तहसील तिराहे के नाम से जाना जाता हैं। तत्समय उन्होने तहसील तिराहे के बगल पूजा के लिए एक मस्जिद का निर्माण कराया। जिसे आज किले वाली मस्जिद के नाम से जाना जाता हैं। इसी दौरान उन्होने एक बस्ती भी बसायी जिसे अकबरपुर नाम दिया गया जो आज जिला मुख्यालय के रूप में जाना जाता हैं। बताते हैं कि यहां से आगे बढ़ने के लिए तमसा को पार करने का कोई साधन नही था। जिसके लिए सम्राट अकबर ने एक लकड़ी का पुल बनवाया था जिसे काफी दिन तक शाही पुल के नाम से जाना जाता रहा। यही पुल आज बदले स्वरूप में अकबरपुर और शहजादपुर को जोड़ता हैं।


इतिहासकार बताते हैं कि शाही पुल निर्माण के बाद सम्राट अकबर के निर्देश पर शहजादपुर और उनके उपनाम से जलालपुर बस्तियां आबाद हुई जिन्हे आगे चलकर मौजे की मान्यता मिली। आज वही बस्तियां अच्छे कस्बे के रूप में विख्यात हैं। जिले के अहम हिस्से के रूप में जाने गये जलालपुर कस्बे के आसपास सन् 1300 के आसपास तक राजभरों का राज था। भुजगी और सुरहुरपुर इनके दो रियासते थी। जिसमें सुरहुरपुर रियासत को सैय्यद सालार मसऊद गाजी उर्फ गाजी मियां ने जीत लिया था और भुजगी रियासत राजपूतों के कब्जे में चली गयी। इसी दौरान आये ईरानी सरदार नकी के नाम पर नकीपुर बसा जो आज नगपुर के नाम से विख्यात है। नवाबी काल में क्षेत्र को पहचान मिलनी शुरू हुई जो अग्रेजी हुकूमत में आगे बढ़ी। मुस्लिम शासकों ने इमामबाड़ों, मस्जिदों, ईदगाहों, और धर्मशालाओं का निर्माण कराया जब कि अंग्रेजों ने स्कूल, अस्पताल, पुल, तहसील, ब्लाक, रेलवे स्टेशन बनवायें। सन् 1947 में आजादी के बाद स्थानीय नागरिकों ने मुक्त सांस लेना शुरू किया। सन् 1952 में प्रथम चुनाव के बाद आये जमीदारी उन्मूलन विधेयक ने तमाम गरीबों, मजदूरों व कामगारों को भूमिहीन से भूतिदार बनाया। यद्यपि आजादी मिलेन के बाद इस क्षेत्र के विकास को लेकर प्रयास होते रहे परन्तु बीसबीशदी के अंतिम दिनों से लेकर इक्कीसवी शदी का प्रारम्भ काल अम्बेडकरनगर का स्वर्णिम काल कहा जा सकता हैं। क्योकि तत्कालीन राज्य सरकार की मुख्यमंत्री  ने इसे अपनी कार्मभूमि बनाया परिणाम रूवरूप उनकी विकास योजनाएं अम्बेडकरनगर के लिए वरदान साबित हुई। परिणाम आज सबके सामने हैं। आज अम्बेडकरनगर राष्ट्रीय क्षितिज पर दैदीप्यमान है।


स्थापना व नामकरण

यह ज़िला उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमन्त्री मायावती के द्वारा २९ सितम्बर १९९५ को बनाया गया था। इसका नाम भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखा गया है।

भूगोल

जिले का कुल क्षेत्रफल २,५२० वर्ग किमी है। लगभग ९० % जनसंख्या गाँव में रहती है। OMMS आंकडों के अनुसार अम्बेडकर नगर जिले में ३९५५ गाँव हैं। इन छोटे गांवों के अलग-थलग होने की वज़ह से ज़िला दस प्रशासकीय ब्लॉकों में विभाजित है: अकबरपुर, बेवाना, बसखारी, भीटी, भियाँव, जहाँगीर गंज , जलालपुर, कटेहरी, रामनगर और टाण्डा।

अकबरपुर शहर, तमसा नदी के किनारे बसा है जो शहर को दो भागों अकबरपुर और शहजादपुर में विभक्त करती है, जो शहर के मुख्य वाणिज्यिक केंद्र हैं। सरयू नदी मुख्य नदी है और जिले के उत्तरी सीमा पर स्थित है। टाण्डा, जहाँगीर गंज , रामनगर और बसखारी के ब्लॉक इस नदी के किनारे स्थित हैं और सिंचाई के लिए इसका पानी का उपयोग करते है। बसखारी ब्लॉक में सिंचाई देवहट और हँसवर झील से भी होती है। झील दरवन, टाण्डा और कटेहरी ब्लॉक में पानी उपलब्ध कराता है। अकबरपुर, भीटी,भियाँव और जलालपुर ब्लॉक छोटी नदियों और मौसमी नदियों पर निर्भर करते हैं। अकबरपुर, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले का मुख्यालय है


प्रशासनिक विभाग

अम्बेडकर नगर जिले का मण्डल अयोध्या है, जिसकी 5 तहसीलें अकबरपुर, टाण्डा, जलालपुर, आलापुर और भीटी हैं। इस जिले में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं।

कटेहरी

भीटी

अकबरपुर

जलालपुर

आलापुर

टाण्डा

अर्थव्यवस्था

अम्बेडकर नगर टाण्डा टेरीकाट के लिए विख्यात है। खेती और बिजली के करघे का इस्तेमाल लोगों की प्रमुख आर्थिक गतिविधियों में शुमार है। जिले में एनटीपीसी से संबंधित एक थर्मल पावर स्टेशन तथा जेपी ग्रुप से संबंधित एक सीमेंट निर्माण संयंत्र भी है। जिले में एक चीनी कारखाने अकबरपुर चीनी मिल, जो ज़िला मुख्यालय से सोलह किलोमीटर की दूरी पर, मिझौड़ा में स्थित है। अकबरपुर में कई चावल मिलें मौजूद हैं। 2006 में पंचायती राज देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों (बाहर के एक कुल 640) के नाम अम्बेडकर नगर ​​एक मंत्रालय [2] यह उत्तर प्रदेश में 34 जिलों में वर्तमान में पिछड़ा क्षेत्र से धन प्राप्त अनुदान निधि कार्यक्रम में से एक हैं। (बीआरजीएफ) [2].

शिक्षा

अम्बेडकर नगर में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी शिक्षण संस्थान है, जो जिले में स्कूली स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षण कार्य कराते हैं।

प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान

मान्यवर कांशीराम राजकीय इंजीनियरिंग कालेज (उत्तरप्रदेश के 10 सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में से एक), अकबरपुर

महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कालेज

शाहूजी महाराज राजकीय पालीटेक्निक कालेज, शिवबाबा, अम्बेडकरनगर

राजकीय पालीटेक्निक कालेज, बैजपुर, भीटी

राजकीय कृषि इंजीनियरिंग कालेज, अकबरपुर

पं रामलखन शुक्ल राजकीय पीजी कालेज, आलापुर

बीएनकेबी पीजी कालेज, अकबरपुर

ईसीआई होम्योपैथिक कॉलेज ऑफ फार्मेसी


पर्यटन

श्रवण क्षेत्र में एक वार्षिक मेले में माघ पूर्णिमा (फरवरी पूर्ण चंद्रमा) पर आयोजित किया जाता है। किंवदंती है कि श्रवण कुमार, राजा दशरथ के द्वारा श्रवण क्षेत्र में मारा गया। महादेव मंदिर बीड़ी ग्राम, रामपुर सकरवारी है जो मालीपुर रेलवे स्टेशन से दोस्तपुर रोड पर 7 किमी दूर स्थित है। आस्था भक्ति की जगह झालखण्ड(पीपल के पेड़ से स्वयंभूत शिवलिङ) मालीपुर रेलवेस्टेशन के दक्षिण, राम जानकी मंदिर धवरूआ तिराहा(प्राचीन पोखरा) जलालपुर सुलतानपुर रोडपर मालीपुर से 5 किमी दक्षिण, तथा शिव बाबा, अकबरपुर - कटहरी - गोशाईगंज - फैजाबाद सड़क अकबरपुर पर स्थित हैं। लोरपुर अपने किले के लिए जाना जाता हैं। हनुमान मंदिर, कटहरी से अनिरुद्ध नगर, बेनीपुर गाँव, अकबरपुर से 18 किलोमीटर पश्चिम और 10 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। गोविन्द साहब बाबा आजमगढ-अम्बेड़करनगर राष्ट्रीय मार्ग टोल टैक्स से 500 मीटर पहले दक्षिण 2 किलोमीटर पर गोविन्द साहब बाबा का स्थान स्थित है।


अम्बेडकरनगर जिले में नगर पालिका/नगर पंचायत

नगर पालिका परिषद अकबरपुर 

नगर पालिका परिषद जलालपुर

नगर पालिका परिषद टान्डा

नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा

नगर पंचायत इल्तिफातगंज

नगर पंचायत राजेसुल्तानपुर

नगर पंचायत जहाँगीरगंज


अमनेडकरनगर में विकास खण्ड

अकबरपुर

कटेहरी

जहाँगीरगंज

जलालपुर

टाण्डा

बसखारी

भियांव

भीटी

रामनगर







No comments: