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Saturday, October 9, 2021

अम्बेडकरनगर। प्रदेश स्तर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में विजली का संकट गहराया लोगों को हो रही खासी परेशानी

अम्बेडकरनगर। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति का व्यापक संकट उत्पन्न हो गया है। हालात ये हैं कि 10 घंटे भी बिजली मिलनी मुश्किल है। उपभोक्ताओं को न तो दिन में ठीक से बिजली मिल पा रही है और न ही रात में। नतीजतन त्राहि-त्राहि मची है।


दरअसल कोयला संकट के चलते विभिन्न इकाइयों में उत्पादन प्रभावित होने का सीधा असर ग्रामीण क्षेत्रों की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पर पड़ा रहा है। इससे न सिर्फ घरेलू कामकाज प्रभावित हो रहे हैं, वरन छोटे उद्योग-धंधों पर भी असर देखने को मिल रहा है। उपभोक्ताओं ने प्रशासन से जल्द से जल्द आपूर्ति व्यवस्था में सुधार किए जाने की मांग की है।

विद्युत उत्पादन इकाइयों में कोयला संकट का असर आपूर्ति व्यवस्था पर दिखने लगा है। जिले के प्रमुख शहरी क्षेत्रों में तो स्थिति लगभग सामान्य है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति व्यवस्था हद दर्जें तक प्रभावित हुई है। इससे उपभोक्ताओं में हाहाकार मचा हुआ है। वैसे तो ग्रामीण क्षेत्रों में 18 से 20 घंटे आपूर्ति का रोस्टर लागू है, लेकिन 10 घंटे भी बिजली आपूर्ति मुश्किल हो गई है। बदतर विद्युत आपूर्ति व्यवस्था का प्रतिकूल असर अब आमजनजीवन पर पड़ने लगा है।

दिन-रात हो रही व्यापक कटौती के चलते उपभोक्ताओं को विभिन्न मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। न सिर्फ उनके समक्ष पेयजल का संकट खड़ा हो रहा है बल्कि छोटे-उद्योगधंधे भी प्रभावित हो रहे हैं। शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं को तो फिर भी समुचित बिजली मिल जा रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को रोस्टर के अनुसार बिजली नहीं मिल पा रही है।

ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को कितनी बिजली मिल रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बमुश्किल 10 घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है। जलालपुर नगर के साथ ही अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में बार-बार ट्रिपिंग होती रहती है। भीटी व आसपास के क्षेत्रों का भी यही हाल है। इससेे संबंधित क्षेत्र के उपभोक्ताओं को जहां पूरी रात गर्मी में परेशान होना पड़ता है तो वहीं पेयजल का भी संकट खड़ा हो गया है।


उत्तर प्रदेश के किन किन शहरों में हो रही विजली प्रभावित।

 कोयले की कमी के कारण बिजली संकट पैदा होने का खतरा बढ़ गया है। कई राज्यों में बिजली प्लांट बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। दिल्ली में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा है तो पंजाब के थर्मल प्लांटों में सिर्फ दो दिन का कोयला शेष है। शनिवार को जरूरत के मुकाबले आधी बिजली का उत्पादन ही हो सका, जिसकी वजह से छह घंटे तक कटौती करनी पड़ी। जम्मू-कश्मीर में भी छह घंटे बिजली कटौती हुई है। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र में आठ से दस घंटे की कटौती हो रही है। गुजरात, राजस्थान, और तमिलनाडु सहित कई अन्य राज्यों में बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ।

सबसे चिंताजनक स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तुरंत समस्या का समाधान निकालने की अपील की है। उन्होंने पत्र में उन बिजली संयंत्रों में कोयले की उपलब्धता की जानकारी दी है, जिनसे दिल्ली को बिजली मिलती है। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार संयंत्रों के पास कोयले का लगभग 20 दिन का भंडार होना चाहिए, लेकिन यह कम होकर एक दिन का रह गया है। इस कारण गैस आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता


बढ़ी है, लेकिन उनके पास भी पर्याप्त गैस नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस बीच, टाटा पावर दिल्ली डिस्टि्रब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) ने उपभोक्ताओं को एसएमएस भेजकर संभावित बिजली कटौती को लेकर सचेत किया है।

दिल्ली से सटे हरियाणा में बिजली का कोई संकट नहीं है, लेकिन पंजाब में हालात गंभीर होते जा रहे हैं। पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पावरकाम) ने कमी को पूरा करने के लिए अन्य कंपनियों से भी बिजली खरीदी, लेकिन फिर भी दो से छह घंटे तक बिजली कट लगाने पड़े। राज्य में 177 फीडर दो घंटे, 68 फीडर चार घंटे और 17 फीडर छह घंटे के लिए बंद रहे। बिजली कट लगने से पावरकाम को एक ही दिन में 27 हजार शिकायतें मिलीं, जबकि शुक्रवार को 24 हजार शिकायतें मिली थीं। मुख्यमंत्री चरणजीत ¨सह चन्नी ने समीक्षा बैठक कर समझौते होने के बावजूद उचित मात्रा में कोयला सप्लाई न करने वाली कंपनियों का नोटिस लेते हुए कहा कि तेजी से घट रहे कोयले के भंडार के कारण पावरकाम के थर्मल प्लांट बंद हो गए हैं। लिहाजा, कंपनियां तुरंत कोयले की सप्लाई बढ़ाएं।

म्मू कश्मीर में पांच से छह घंटे की अघोषित कटौती हो रही है। एक जिले में एक घंटा कट लगाने के बाद फिर दूसरे जिले में कटौती की जाती है । ऐसे कर विभाग दिन में कुल पांच से छह घंटे की कटौती कर लेता है। मौजूदा समय में जम्मू कश्मीर को थर्मल पावर से 300 से 400 मेगावाट बिजली मिलती है। सर्दियों में नदियों में पानी कम हो जाने पर जम्मू कश्मीर की 50 प्रतिशत आपूर्ति थर्मल पावर पर ही निर्भर हो जाती है।झारखंड में कोयले की कमी के कारण पावर प्लांटों से बिजली का उत्पादन कम हो गया है। लोड शेडिंग के कारण ग्रामीण इलाकों में आठ से दस घंटे तक बिजली की कटौती हो रही है। शहरी इलाकों में भी अभी दो से चार घंटे की कटौती हो रही है। बिहार भी कोयले की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित है। राजस्थान में प्रतिदिन एक घंटे के लिए बिजली आपूर्ति में कटौती की जा रही है। आंध्र प्रदेश में भी बिजली कटौती के हालात बन गए हैं।












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