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Tuesday, August 10, 2021

अंबेडकरनगर/लखनऊ। अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को सौपा ज्ञापन कि कोरोना से मृत शिक्षकों के परिजनों को मिले 50 लाख का मुआवजा। एक दिन पहले अंबेडकरनगर में अपनी मांगों को लेकर शिक्षकों ने रखा मौन व्रत

 अम्बेडकरनगर। सोमवार को अपनी मांगों को लेकर शिक्षकों ने रखा मौन व्रत

अंबेडकरनगर। चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमण से शिक्षकों की हुई मौत मामले में पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने, पुरानी पेंशन बहाली, तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण समेत विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार को कलेक्ट्रेट के पास उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में शिक्षकों ने मौन व्रत रखा। बाद में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। शिक्षकोें ने कहा कि यदि शीघ्र ही उनकी मांगों का निस्तारण नहीं हुआ तो वे आंदोलन शुरू कर देंगे।मौन व्रत का नेतृत्व कर रहे अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने कहा कि माध्यमिक शिक्षक विभिन्न प्रकार की मुश्किलों से जूझ कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं के निस्तारण को लेकर कोई ठोस कदम जिम्मेदारों की ओर से नहीं उठाया जा रहा है। कहा कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान जिन शिक्षकों की कोरोना से मौत हुई है, उनके परिवारीजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन इसे लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे पीड़ित परिवार को आर्थिक मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। 

लखनऊ। संगठन के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार मिश्र ने ज्ञापन के जरिये पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा विधेयक (2021) वापस लेने, तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने, माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने की मांग की।माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षकों ने मौन व्रत रखकर कोरोना से पीड़ित मृत शिक्षकों के परिजनों को कोरोना वारियर के बराबर 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की उन्होंने अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री को प्रेषित किया। हजरतगंज स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा के सामने संगठन के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार मिश्र ने ज्ञापन के जरिये पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा विधेयक (2021) वापस लेने, तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने, माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने की मांग की।मौके पर मुख्य रूप से डॉ. महेन्द्र नाथ राय, सुशील कुमार पांडेय, अरुण कुमार वर्मा आदि मौजूद रहे।पुरानी पेंशन बहाली की मांग को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। इसे लेकर जब भी धरना-प्रदर्शन किया जाता है, तो सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है। इससे आगे प्रक्रिया नहीं बढ़ती है। वित्त विहीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स घोषित किए जाने की मांग को भी पूरा नहीं किया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि 9 मार्च 2019 को सरकार के साथ जो समझौता हुआ था, उसे लागू किए जाने की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक इसे लेकर जिम्मेदारों द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण की मांग को अब तक नहीं पूरा किया जा सका है। चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही उनकी मांगों का निस्तारण नहीं हुआ, तो वे आंदोलन शुरू कर देंगे। इस मौके पर दुर्गाप्रसाद, अखिलेश प्रताप सिंह, विवेकानंद त्रिपाठी, नरेंद्र भारती, रामबली, आनंद सिंह, संजय तिवारी, राकेश मिश्र, रामशंकर, महेंद्र, कपिलदेव, सुशीलकांत, अनिल कुमार आदि मौजूद रहे।

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