अम्बेडकरनगर। चंदौली से अम्बेडकरनगर जनपद में स्थानांतरित होकर आए भीटी में तैनात एसडीएम सुनील कुमार को सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया है। अम्बेडकरनगर पहुंची चंदौली पुलिस एसडीएम को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई है। बताया जाता है कि 2011 में सुनील कुमार चंदौली में तहसीलदार के पद पर तैनात थे। बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कुछ लोग सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं, वही कई लोग प्रमोशन पाकर दूसरे जनपदों में कार्यरत हैं।
कांशीराम आवास में अनियमितता का है आरोप
जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 में राजेंद्र प्रसाद, चंदौली नगर पालिका में अधिशासी अधिकारी के पद पर तैनात थे। उस समय कांशीरम आवास आवंटन में अनियमितताएं पाई गयी थीं। जिसमें ईओ राजेन्द्र प्रसाद भी आरोपी है। सीओ एसएन बैस ने बताया कि नगर पालिका परिषद रसड़ा के अधिशासी अधिकारी को चंदौली पुलिस गिरफ्तार करके ले गई है।
विभिन्न जनपद में तैनात 42 अधिकारियों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार
चंदौली जिले में वर्ष 2011 में कांशी राम आवास योजना के तहत लाभार्थियों को आवास आवंटन करने के दौरान बड़े पैमाने पर धांधली की मामला उजागर हुआ था। चंदौली नगर के वार्ड नंबर 13 के चंद्र मोहन सिंह ने 2013 में कोर्ट में प्रार्थना देकर मामले की जांच की गुहार लगाई थी। इसी मामले में तत्कालीन अपर जिला अधिकारी के द्वारा जांच कराई गई थी। जांच में 42 लोगों को गलत ढंग से आवास आवंटन का मामला सामने आया। इस मामले में तत्कालीन ईओ राजेंद्र प्रसाद, तहसीलदार सुनील कुमार, लेखपाल, कानूनगो सहित एक दर्जन से अधिक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई थी। आरोप है कि अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने ही परिचितों, रिश्तेदारों और सभासद के रिश्तेदारों, नगर पंचायत में कार्यरत कर्मचारियों के रिश्तेदारों को आवास का आवंटन कर दिया था। उस समय तमाम दबाव के चलते जिला प्रशासन के स्तर से करवाई नहीं संभव सकी। ऐसे में चंद्र मोहन सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट ने चंदौली पुलिस को निर्देश देकर सभी आरोपितों की गिरफ्तारी का आदेश दिया है। इसी आदेश के क्रम में अधिकारियों की गिरफ्तारी हो रही है।
20-20 हजार रुपए लेकर दिए गए थे मकान
इस मामले में याचिकाकर्ता चंद्रमोहन सिंह ने बताया कि तत्कालीन तहसीलदार सुनील कुमार के द्वारा लगभग आधा दर्जन से अधिक ऐसे अपात्रों को जाति और आय प्रमाण पत्र जारी किया गया था। जो कि दलित जाति में नहीं आते हैं। बताएं किस के लिए प्रति व्यक्ति ₹20 हज़ार रुपये सुविधा शुल्क लिए गए थे। तत्कालीन चेयरमैन सुदर्शन सिंह के तीन रिश्तेदारों का भी नाम आया और जाति निर्गत किया गया था। इस मामले में तत्कालीन लेखपाल कानूनगो चेयरमैन सभी ने अपने अपने हिसाब से जमकर भ्रष्टाचार किया था और परिचितों को कांशीराम आवास योजना के तहत लाभ दिलाने के लिए सरकार की योजना में पलीता लगा दिया था।
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