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Saturday, February 19, 2022

राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के दौरान पूर्व मंत्री ने ली अंतिम सांस

 अम्बेडकरनगर। यूपी विधान परिषद में नेता विरोधी दल और पूर्व मंत्री माननीय अहमद हसन जी का आज लोहिया अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। अहमद हसन जी कई दिनों से बीमारी से जूझ रहे थे।


माननीय अहमद हसन जी 1960 से नौकरी में आने के बाद हमेशा से  उनके दरवाजे पर बत्ती लगी गाड़ी मौजूद रही नौकरी के समय जहां उनके पास नीली बत्ती की गाड़ी रही वही डीआईजी से सेवानिवृत होने के बाद से उनके पास लगभग हमेशा से लाल बत्ती गाड़ी मौजूद रही। माननीय अहमद हसन समाजवादी पार्टी के एक प्रसिद्ध और सम्मानित राजनेता और एक पूर्व पुलिस अधिकारी थे। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य करते थे। उन्होंने पहले समाजवादी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया है। सार्वजनिक सेवाओं में छह दशक के लंबे करियर के साथ, उनकी ईमानदार सार्वजनिक और सामाजिक सेवाओं के लिए, उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक, राष्ट्रपति द्वारा भारतीय पुलिस पदक,उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सांप्रदायिक और सामाजिक सद्भाव के लिए सराहनीय पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था।

प्रारंभिक जीवन-अहमद हसन का जन्म 2 जनवरी 1934 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में हुआ था। उनके पिता मौलाना मोहम्मद यूसुफ जलालपुरी एक बहुत सम्मानित धार्मिक विद्वान और एक समृद्ध व्यवसायी थे। अपने पिता के संरक्षण में अहमद हसन हमेशा से पढ़ाई में होशियार थे हाईस्कूल और इंटरमीडिएट  प्रथम श्रेणी में पास करने के बाद में वे कानून की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए और बीए, एलएलबी की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। जिसके बाद उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने UPSC परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया और 1958 में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हो गए। उनका पहला आधिकारिक प्रभार 1960 में लखनऊ के पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के रूप में था। एक पुलिस अधिकारी के रूप में, वह अपनी निडरता और साहसिक नेतृत्व के प्रदर्शन के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की और कई अपराधियों की कुख्यात गतिविधियों को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया। उदाहरण के लिए 1967 में एटा के डीएसपी के रूप में उन्होंने खूंखार डकैत चबूराम का सफाया किया और उसके सभी साथियों को गिरफ्तार कर लिया। असाधारण वीरता के इस कार्य के लिए अहमद हसन को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। उन्हें 1979 में विधानसभा और संसद चुनावों के दौरान एटा में पूर्ण कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेधावी पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया था। अहमद हसन का मानना ​​था कि समाज में अपराध तभी कम हो सकते हैं जब जनता और पुलिस के बीच सीधा संपर्क हो। वह हमेशा लोगों के साथ शांति और सद्भाव की भावना का संचार करने के लिए लगे रहे। वह सभी से प्यार और सम्मान करते थे, जो इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि उन्होंने पांच साल से अधिक समय तक बरेली में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया। जिले में उन्होंने जो शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की थी, उसके अलावा उन्होंने अपने और लोगों के बीच मजबूत बंधन के कारण यह काफी लंबा कार्यकाल था।

अहमद हसन जी 1989 में डीआईजी रैंक में पदोन्नत किया गया था और पुलिस बल में 30 से अधिक वर्षों तक शानदार सेवा देने के बाद 1992 में सेवानिवृत्त हुए। पुलिस सेवा से अहमद हसन की सेवानिवृत्ति उन्हें समाज के वंचितों की सेवा करने के अपने मिशन को पूरा करने से नहीं रोक सकी। वह मुलायम सिंह यादव की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित थे, जो समानता और न्याय के सिद्धांत पर काम करने वाले समाजवादी समाज का निर्माण करना चाहते थे। 1994 में अहमद हसन समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए काम करना जारी रखने के लिए समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। अपनी राजनीतिक क्षमता में उनको कई बार पदो से नवाजा गया।

कब कब क्या बने

अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग, 1994

विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद, 1997

2003 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री

2012 में कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश

कैबिनेट मंत्री बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश, 2015

वर्तमान में विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद।

2 जनवरी 1934 से 19 फरवरी 2022 तक वर्तमान पड़ पर रहते हुए उन्होंने लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली।

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